Friday 28 August 2015

पैसे की कमी बनी छात्रवृत्ति भुगतान में बाधा

-शासन से धन नहीं मिला तो निरस्त हो गए लाखों आवेदन
-अनुसूचित जाति को बंधाई उम्मीद, अन्य भेज रहे प्रस्ताव
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को छात्रवृत्ति देकर उनकी आगे की पढ़ाई न रुकने देने की दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना की राह पैसे की कमी से रुक गयी है। शासन से धन न मिलने के कारण लाखों आवेदन निरस्त हो गए हैं। अब अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को तो उम्मीद बंधाई जा रही है, वहीं अन्य के मामले में प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं।
दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद धन की कमी के कारण पढ़ाई न रुकने देने के लिए सभी वर्गों के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की योजना प्रदेश सरकार द्वारा संचालित की जाती है। इनमें 11वीं व 12वीं में अध्ययन के अलावा सामान्य स्नातक, बीटेक, एमबीबीएस आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों को भी शामिल किया जाता है और उनकी शुल्क प्रतिपूर्ति की जाती है। इस वर्ष कुल 59 लाख छात्र-छात्राओं ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया था। इनमें से महज 26.9 लाख को छात्रवृत्ति मिली है और शेष 32.1 लाख आवेदन निरस्त कर दिये गए हैं।
अधिकारियों के मुताबिक आर्थिक संकट भी छात्रवृत्ति न मिलने का बड़ा कारण बन रही है। अब तक शासन स्तर पर जो धन जारी हुआ है, उससे 26.9 लाख छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति को मंजूरी मिल चुकी है। अनुसूचित जाति के लिए सर्वाधिक 1261 करोड़ रुपये जारी हुए थे, जिससे 8.6 लाख छात्र लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए मिले 1028 करोड़ रुपये से 12.7 लाख,  सामान्य वर्ग के लिए मिले 465 करोड़ रुपये से 3.7 लाख व अल्पसंख्यकों के लिए मिले 85 करोड़ रुपये से 1.9 लाख अभ्यर्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति मिली है।
जिन अभ्यर्थियों के आवेदन निरस्त हुए हैं, वे समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभागों के दफ्तरों पर पहुंच कर हंगामा कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। फिलहाल अधिकारी भी हाथ खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति वर्ग के बचे छात्र-छात्राओं की तो छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान हो जाएगा किन्तु अन्य के लिए फिलहाल कोई निर्देश नहीं हैं। अनुसूचित वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समित से अनुमोदन कराकर 31 जुलाई तक प्रत्यावेदन भी मांगे गए हैं। हालांकि पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण विभागों ने शासन से शेष बच्चे अभ्यर्थियों के लिए भी धन की मांग का प्रस्ताव भेजा है।
वर्ग - मिला धन - निरस्त आवेदन
अल्पसंख्यक - 85 करोड़ - 3.6 लाख
सामान्य - 465 करोड़ - 5.3 लाख
पिछड़ा - 1028 करोड़ - 13.8 लाख
अनुसू्चित - 1261 करोड़ - 9.4 लाख

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