Monday 31 August 2015

प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाम के लिए हटेंगे बड़े डॉक्टर

-काम न करने वाले 14 नेत्र शल्य चिकित्सकों पर होगी कार्रवाई
-कई मेडिकल शिक्षकों के स्टिंग वीडियो भी शासन तक पहुंचे
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
सूबे में चिकित्सकीय अराजकता को समाप्त करने के लिए शासन स्तर पर सख्त रुख अख्तियार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तरफ से पहल कर अस्पतालों में काम न करने वाले चिकित्सकों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास भी कई मेडिकल कालेज शिक्षकों के स्टिंग वीडियो पहुंचे हैं। अब कई बड़े डॉक्टरों के तबादले की तैयारी है।
लोहिया अस्पताल में प्राइवेट प्रैक्टिस के कारण हुई मौत और कानपुर मेडिकल कालेज में एक महिला को डॉक्टरों द्वारा गंगा बैराज में फेंके जाने से सूबे का सेहत महकमा हिल गया है। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने के लिए हर संभव सख्त कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। चिकित्सकों के लिए अस्पतालों में मरीज देखने व सर्जरी करने तक के लक्ष्य निर्धारित किये जा रहे हैं। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में तैनात नेत्र शल्य चिकित्सकों का ब्योरा तलब किया तो पता चला कि तमाम डाक्टरों ने तो इस साल अब तक एक भी सर्जरी नहीं की थी। ऐसे में वर्ष में पचास से कम सर्जरी करने वाले डॉक्टर चिह्नित किये गए हैं। ऐसे 12 नेत्र शल्य चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये गए हैं। माना जा रहा है कि ये लोग सरकारी अस्पतालों में तो सर्जरी नहीं करते, किन्तु प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्त रहते हैं।
इसी तरह राज्य के मेडिकल कालेजों के तमाम वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस किये जाने की शिकायतें भी आ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार पुराने सरकारी मेडिकल कालेजों आगरा, कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, झांसी व गोरखपुर मेडिकल कालेजों के शिक्षक ही नहीं, वरिष्ठ पदों पर बैठे कुछ लोग भी नियमित रूप से प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों के स्टिंग वीडियो भी शासन तक पहुंचे हैं। प्रांतीय चिकित्सा सेवा के कई डॉक्टरों के खिलाफ भी इसी तरह की शिकायतें सबूत सहित आई हैं। अब रणनीति बनाई गयी है कि इन सब चिकित्सकों को उन शहरों से हटाकर दूर भेजा जाए। इससे वे यह तय कर लेंगे कि उन्हें सरकारी सेवा में रहा है या प्राइवेट प्रैक्टिस करनी है। चिकित्सा शिक्षा सेवा संवर्ग में भी अब बांदा से लेकर सूबे के दूर-दराज तक मेडिकल कालेज खुल जाने से प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को दूर भेजने के अवसर बढ़ गए हैं।

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