Monday 31 August 2015

सूबे में होम्योपैथी के चार सौ अस्पताल बंद


--मीठी गोली का इंतजार--
-चिकित्सकों की कमी से पैदा हुआ संकट
-दवाएं न मिलने से भी हो रही दिक्कत
डॉ.संजीव, लखनऊ
कुछ मीठी गोलियां और मरीज का उपचार। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के लिए यह बात सीधी तौर पर मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में समूची होम्योपैथी व्यवस्था को ही मीठी गोली का इंतजार है। चिकित्सकों की कमी से राज्य के चार सौ अस्पताल बंद हो गये हैं। जो खुलते हैं, उनमें भी दवाएं न मिलने से दिक्कत हो रही है।
जानकारी के अनुसार राज्य में होम्योपैथी के छोटे-बड़े, कुल 1575 अस्पताल हैं। इन अस्पतालों में मानक के अनुसार चिकित्सक व फार्मेसिस्ट के पद सृजित हैं। सभी मरीजों को अस्पतालों से ही दवाएं उपलब्ध कराने के नियम हैं। बीते कुछ महीनों से ये अस्पताल चिकित्सकों की कमी के कारण दोहरे संकट से जूझ रहे हैं। होम्योपैथी विभाग के पास इस समय पूरे राज्य में बमुश्किल 1200 चिकित्सक हैं। इसमें भी लगातार सेवानिवृत्त होने से हर माह संख्या घटती जा रही है। ऐसे में चार सौ अस्पताल तो बिना डॉक्टर के होने के कारण बंद हो गये हैं। अधिकारियों का कहना है कि जिन अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, वहां आसपास से डॉक्टर भेजे जाते हैं। अगल-बगल या कुछ किलोमीटर की दूरी वाले अस्पतालों में सप्ताह के तीन-तीन दिन डॉक्टरों की ड्यूटी लगायी जानी शुरू हुई है। ऐसे में जिस अस्पताल का डॉक्टर भेजा जाता है, वह बंद हो जाता है। जिस डॉक्टर की ड्यूटी लगती है, यदि वह किसी आकस्मिक कारण से अस्पताल न जा सके तो दोनों अस्पताल बंद हो जाते हैं। इन स्थितियों के परिणामस्वरूप रोज चार सौ अस्पताल बंद ही रहते हैं। जो अस्पताल खुलते हैं, उनमें भी दवाएं न मिलने से दिक्कत हो रही है। इन स्थितियों से निपटने के लिए लोक सेवा आयोग से खाली पद भरने का अनुरोध कई बार किया गया किन्तु होम्योपैथी प्रशासन को सफलता नहीं मिली। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने हाल ही में 177 चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है, किन्तु उस पर अब तक प्रक्रिया अटकी होने से बेहद संकट की स्थिति बनी हुई है।
1175 अस्पताल किराये पर
लखनऊ: होम्योपैथी अस्पतालों को अपने भवनों में शिफ्ट करने की मुहिम भी परवान नहीं चढ़ रही है। राज्य के 1575 अस्पतालों में से सिर्फ 400 अपने भवनों में हैं। शेष 1175 अस्पताल किराये के भवनों में चल रहे हैं। इन्हें सरकारी भवनों में शिफ्ट करने के लिए जिला योजनाओं की बैठक में भी तमाम बार प्रस्ताव लाए गए किन्तु सफलता नहीं मिली। अधिकारी इसे हर स्तर पर उपेक्षा का परिणाम मानते हैं।
आयुष मिशन से जगी उम्मीद
अस्पतालों में दवाओं व चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के प्रयास हो रहे हैं। चिकित्सकों की कमी पूरी करने के लिए लोक सेवा आयोग से जल्द ही भर्तियां होंगी। दवाओं आदि के लिए आयुष मिशन से उम्मीद बंधी है। आयुष मिशन से होम्योपैथी को जो अनुदान मिलेगा, उससे दवाओं व अस्पतालों का ढांचागत सुधार किया जाएगा। -डॉ. विक्रमा प्रसाद, निदेशक होम्योपैथी, उत्तर प्रदेश

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