Saturday 22 August 2015

डीजीएमई, दो प्राचार्यों सहित दस विभागाध्यक्षों की कुर्सी खतरे में


-सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष होने के बाद भी लटक रही तलवार
-कई मेडिकल कालेजों की मान्यता पर भी मंडरा रहा संकट
डॉ.संजीव, लखनऊ
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक व दो मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों सहित दस विभागाध्यक्षों की कुर्सी खतरे में है। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 65 वर्ष किये जाने के बाद भी इन सब पर 30 जून को सेवानिवृत्ति की तलवार लटक रही है। इस कारण कई मेडिकल कालेजों की मान्यता पर भी संकट मंडरा रहा है।
प्रदेश के राजकीय मेडिकल कालेजों में चिकित्सा शिक्षकों की निरंतर कमी का हवाला देते हुए बीती 6 फरवरी को शासन ने एक आदेश जारी कर इनकी सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी थी। इसके बावजूद इस आदेश की परिधि में वे चिकित्सा शिक्षक नहीं आए, जिन्हें इस वर्ष सत्र लाभ के अंतर्गत 30 जून तक पढ़ाने का अवसर मिला था। इनमें प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी, गोरखपुर मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ.केपी कुशवाहा, जालौन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ.सुरेश चन्द्रा, गोरखपुर के त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ.ललित मोहन व स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ.रीना श्रीवास्तव, झांसी के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.राजीव सिन्हा, इलाहाबाद के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. सिद्धार्थ व चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ.आलोक चन्द्रा, आगरा के पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ.अतुल गुप्ता और कानपुर के हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ.सीएम वर्मा शामिल हैं।
अब इन सभी के सामने 30 जून को सेवानिवृत्ति का संकट है। इससे पहले महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति बढ़ाने के लिए जारी किये गए शासनादेश में सत्र लाभ पर चल रहे शिक्षकों को भी सेवानिवृत्ति आयु में लाभ देने की बात स्पष्ट लिखी गयी थी। चिकित्सा शिक्षकों के संबंध में जारी आदेश में यह बात न लिखे जाने से संकट पैदा हुआ है। इस संबंध में अब तक कोई न फैसला होने के कारण कानपुर मेडिकल कालेज के हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ.सीएम वर्मा उच्च न्यायालय भी गए हैं, जहां सरकार की ओर से अगली सुनवाई पर जवाब दिया जाना है। फिलहाल इन शिक्षकों को लेकर असमंजस की स्थिति है। पहले ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे मेडिकल कालेजों में यदि एक साथ ये शिक्षक कम होते हैं तो भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की मान्यता का खतरा भी पैदा हो जाएगा। बीते वर्ष ऐसी स्थिति आने पर शासन स्तर से एमसीआई को आश्वासन देना पड़ा था। इस बार बमुश्किल मान्यता मिली है, लेकिन इस संकट से चिकित्सा शिक्षा विभाग परेशान है।
सत्र की शुरुआत से ही होगी समस्या
लखनऊ: चिकित्सकों का कहना है कि एक ओर शासनादेश में सरकार ने लोक सेवा आयोग से भर्ती किये जाने वाले चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती की अधिकतम आयु सीमा समाप्त कर दी है, वहीं इस बाबत समयबद्ध फैसला न होने से दिक्कत हो रही है। यदि तत्काल फैसला न हुआ तो न सिर्फ नये चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की पड़ताल करनी होगी, बल्कि पहले से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे मेडिकल कालेजों में प्राचार्यों व वरिष्ठ शिक्षकों की कमी से सत्र की शुरुआत में संकट का सामना करना पड़ेगा।

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