Friday 28 August 2015

एक छानबीन और घट गए छात्रवृत्ति के दावेदार

वर्ष 2013-14 की तुलना में 22 प्रतिशत घटी संख्या
सिर्फ अल्पसंयख्यक वर्ग के दावेदार ही लगातार बढ़े
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
ज्ञानेन्द्र प्रकाश ने वर्ष 2013-14 में इलाहाबाद के एक इंजीनियङ्क्षरग कालेज में बीटेक प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था। उसके अगले वर्ष 2014-15 में वह वहीं के एक महाविद्यालय में बीए द्वितीय वर्ष का छात्र था। समाज कल्याण विभाग की दशमोत्तर छात्रवृत्ति के लिए आए आवेदनों की छानबीन के दौरान यह खुलासा हुआ। हां, इस सघन छानबीन का परिणाम यह जरूर हुआ कि छात्रवृत्ति मांगने वालों की संख्या अचानक घट गयी है।
यह स्थिति महज इलाहाबाद के उक्त इंजीनियङ्क्षरग कालेज या उक्त छात्र की नहीं है। प्रदेश में भारी संख्या में छात्र-छात्राएं अवैध ढंग से प्रवेश लेकर शैक्षिक संस्थानों की मदद से छात्रवृत्ति डकारने के धंधे मेें लगे हैं। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वालों की लगातार स्क्रुटनी (छानबीन) का ही परिणाम है कि वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2014-15 में अचानक छात्रवृत्ति आवेदकों की संख्या घट गयी। वर्ष 2013-14 में जहां कुल 34.38 लाख छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था, वर्ष 20140-15 में इसके लिए आवेदन करने वालों की संख्या 22 प्रतिशत घटकर 26.83 लाख रह गयी। यह संख्या बीते पांच वर्षों में सबसे कम है। इससे पहले वर्ष 2011-12 में सर्वाधिक 28.54 लाख छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया था। वर्ष 2010-11 में 27.04 लाख तथा वर्ष 2012-13 में 27.06 लाख छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था।
बीते पांच वर्षों के आंकड़ों को देखें तो सिर्फ अल्पसंख्यक वर्ग के अभ्यर्थियों की संख्या लगातार बढ़ी है। वर्ष 2010-11 में 1.13 लाख, 2011-12 में 1.20 लाख, 2012-13 में 1.31 लाख, 2013-14 में 1.73 लाख और फिर वर्ष 2014-15 में 1.78 लाख अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था। अन्य समूहों में आवेदन करने वालों की संख्या छानबीन के बाद तेजी से घटी है। वर्ष 2013-14 में सामान्य वर्ग से जहां 6.63 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, वहीं 2014-15 में यह संख्या घटकर 3.71 लाख हो गयी। दशमोत्तर छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले सर्वाधिक छात्र-छात्राएं अन्य पिछड़ा वर्ग के रहते हैं। वर्ष 2013-14 में अन्य पिछड़ा वर्ग के सर्वाधिक 15.06 लाख छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया था, किन्तु वर्ष 2014-15 में उनकी संख्या भी घटकर 12.73 लाख रह गयी। अनुसूचित जाति वर्ग का भी कमोवेश यही हाल है। इस वर्ग के 10.95 लाख छात्र-छात्राओं ने वर्ष 2013-14 में आवेदन किया था, जबकि वर्ष 2014-15 में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 8.61 लाख रह गयी।
(इनसेट)
पकड़े गए कुछ मामले
-एक कालेज से वर्ष 2011-12 में 202 छात्र-छात्राओं ने बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं के रूप में आवेदन किया, दो वर्ष बाद वर्ष 2014-15 में इनमें से महज 21 ने आवेदन किया।
-एक संस्था के 290 अभ्यर्थियों ने वर्ष 2012-13 में बीटेक प्रथम व द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी के रूप में आवेदन किया, किन्तु इनमें से सिर्फ 98 वर्ष 2013-14 व 21 वर्ष 2014-15 में दर्शाए गए।
-एक कालेज के 650 विद्यार्थियों में से 219 ने अन्य संस्थाओं में वर्ष 2013-14 में स्वयं को अध्ययनरत दिखाया और 25 ने 2014-15 में अन्य संस्थाओं से आवेदन भी किए।
-एक छात्र उत्तम सिंह वर्ष 2013-14 में एक इंजीनियङ्क्षरग कालेज में बीटेक प्रथम वर्ष के साथ एक महाविद्यालय में बीए तृतीय वर्ष का छात्र पाया गया, वही छात्र वर्ष 2014-15 में एक अन्य कालेज में बीए द्वितीय वर्ष का छात्र पाया गया।
-एक छात्र देव नारायण वर्ष 2013-14 में एक इंजीनियङ्क्षरग कालेज में बीटेक द्वितीय वर्ष का छात्र था तो उसी वर्ष वह एक दूसरे जिले में बीए प्रथम वर्ष के छात्र के रूप में पंजीकृत था।

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