Saturday 22 August 2015

मेडिकल कालेजों में खत्म होंगे प्रवक्ता के पद

-एसोसिएट प्रोफेसर से शुरू होगा शिक्षण का सफर
-ग्यारह की जगह नौ साल में ही बन जाएंगे प्रोफेसर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
प्रदेश सरकार जल्द ही सूबे के मेडिकल कालेजों में प्रवक्ता के पद खत्म करने जा रही है। इसके लिए शासन में प्रस्ताव लंबित है। इसे अगले शैक्षिक सत्र से ही लागू करने की तैयारी है।
जानकारी के मुताबिक अभी राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों में शिक्षण के लिए चार पद सृजित हैं। शिक्षक के रूप में आने वाले चिकित्सक प्रवक्ता की तरह अपनी नौकरी शुरू करते हैं। तीन साल प्रवक्ता के रूप में काम करने के बाद वे असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में प्रोन्नत होते हैं। इसके चार साल बाद वे एसोसिएट प्रोफेसर बनाए जाते हैं। चार साल के लिए एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में बढ़ाने के बाद उन्हें प्रोफेसर का पदनाम मिलता है। इस तरह चिकित्सा शिक्षक के रूप में अपना करियर चुनने वाले चिकित्सकों को प्रोफेसर बनने में 11 साल लग जाते हैं।
अब भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) की पहल पर इस पूरी व्यवस्था में बदलाव की तैयारी है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय द्वारा शासन को भेजे गए प्रस्ताव में राज्य के मेडिकल कालेजों में प्रवक्ता का पद खत्म करने की बात कही गयी है। इसके बाद चिकित्सा शिक्षक के रूप में करियर शुरू करने वाले मेडिकल कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन करेंगे। इस पद पर चार साल रहने के बाद वे एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में प्रोन्नत हो जाएंगे। पांच साल एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में अध्यापन के बाद उन्हें प्रोफेसर बना दिया जाएगा। इस तरह चिकित्सा शिक्षक 11 की जगह नौ साल में ही प्रोफेसर बन जाएंगे। बताया गया कि शासन स्तर पर इस फैसले के बारे में सहमति बन गयी है। जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा। अधिकारियों को उम्मीद है कि इसके बाद चिकित्सकों की रुचि शिक्षण कार्य में बढ़ेगी और अच्छे चिकित्सकों को मेडिकल कालेजों से जोड़ा जा सकेगा।
भर्ती में उम्र सीमा भी हुई समाप्त
लखनऊ: चिकित्सकों को चिकित्सा शिक्षा से जोडऩे के लिए राज्य शासन तमाम कोशिशें कर रहा है। इसके लिए हाल ही में चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती की अधिकतम आयु सीमा को समाप्त कर दिया गया है। अब शैक्षिक योग्यताएं पूरी करने वाले किसी भी आयु के चिकित्सक मेडिकल कालेजों में शिक्षण के लिए आवेदन कर सकेंगे।

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