Saturday 22 August 2015

द्वितीय वर्ष से सूनी हो जाती बीडीएस की कक्षाएं

-बीएचएमएस, बीएएमएस व बीयूएमएस का भी यही हाल
-सीपीएमटी में दुबारा बैठने की अनुुमति से हो रही समस्या
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
कुछ महीने पहले की बात है, किंग जार्ज डेंटल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ शिक्षक डॉ.अनिल चंद्रा जब बीडीएस द्वितीय वर्ष की कक्षा में पहुंचे तो वहां बस दो दर्जन छात्र-छात्राओं को देखकर चौंक गए। साठ छात्र-छात्राओं की क्षमता वाली क्लास में इतनी कम संख्या? सवाल का जवाब ढूंढ़ा तो पता चला कि क्लास में महज 26 विद्यार्थी ही हैं, बाकी 34 तो बीडीएस छोड़कर एमबीबीएस करने चले गए हैं।
यह स्थिति महज बीते वर्ष की नहीं हैै। पिछले कई वर्षों से न सिर्फ राज्य का एकमात्र सरकारी डेंटल कालेज, बल्कि सात होम्योपैथी कालेज, आठ आयुर्वेदिक कालेज व दो बीयूएमएस कालेज भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। जहां तक सरकारी कालेजों की बात है, तो किंग जार्ज डेंटल यूनिवर्सिटी में बीडीएस की 60 सीटें हैं। लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, फैजाबाद, आजमगढ़, गाजीपुर व मुरादाबाद होम्योपैथी कालेजों में बीएचएमएस की 300 सीटें हैं। लखनऊ, पीलीभीत, बांदा, झांसी, बरेली, मुजफ्फरनगर, इलाहाबाद व वाराणसी के आयुर्वेदिक कालेजों में बीएएमएस की 320 और इलाहाबाद व लखनऊ के यूनानी कालेजों में बीयूएमएस की 80 सीटें हैं।
इस तरह राज्य के सरकारी डेंटल, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक व यूनानी कालेजों में हर साल 760 छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं। पहले वर्ष तो इन कालेजों की कक्षाएं भरी-भरी रहती हैं, किन्तु दूसरा साल आते-आते इनमें सन्नाटा छाने लगता है। यह स्थिति तीन साल पहले नहीं थी। तब सीपीएमटी में सफल छात्र-छात्राएं यदि प्रवेश लेते थे, तो उन्हें दुबारा सीपीएमटी में सहभागिता की अनुमति नहीं मिलती थी। तीन साल पूर्व प्रदेश शासन ने उन्हें दुबारा प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति दे दी। इसके बाद से छात्र-छात्राएं सीपीएमटी में कम रैंक आने पर बीडीएस, बीएचएमएस, बीएएमएस या बीयूएमएस में प्रवेश तो ले लेते हैं, किन्तु तैयारी दुबारा सीपीएमटी की करने लगते हैं। सफल होने वाले छात्र-छात्राएं एमबीबीएस या अन्य उन्नत रैंक वाली चिकित्सा डिग्र्री के लिए प्रवेश ले लेते हैं, जिससे पहले साल भरी रहने वाली कक्षाएं खाली हो जाती हैं।
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 सीपीएमटी में दुबारा बैठने की अनुमति देने का फैसला छात्र हित में लिया गया था। उन्हें पाठ्यक्रम बदलने की अनुमति ही दी जाती है, समान पाठ्यक्रम में कालेज बदलने की अनुमति नहीं दी जाती। जहां तक द्वितीय वर्ष में कालेज छोडऩे की बात है, तो वे सब छात्र सीपीएमटी के ही नहीं होते, तमाम छात्र एआईपीएमटी व देश की अन्य मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में सफलता के कारण भी कालेज छोड़ते हैं।  -डॉ.सुनीतिराज मिश्रा,  संयुक्त निदेशक (चिकित्सा शिक्षा)
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होम्योपैथी कालेजों में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राएं कई दफा पहले साल बीएचएमएस की पढ़ाई पर ध्यान देने के स्थान पर सीपीएमटी की तैयारी में जुटे रहते हैं। इससे हर कालेज में द्वितीय वर्ष में कक्षाएं कुछ न कुछ खाली जरूर हो जाती हैं। हम लोग भी इसे स्वीकार करने पर विवश हैं। -डॉ.वी. प्रसाद, निदेशक (होम्योपैथी)

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