Saturday 22 August 2015

अब गरीब बच्चों को भी कम चुभेंगी टीके की सुइयाँ


-सितंबर से सरकारी अस्पतालों में बदलेगा टीकाकरण का रूप
-चौदह हफ्तों में बच्चों को लगेंगे दस की जगह चार इंजेक्शन
डॉ.संजीव, लखनऊ
राज्य के गरीब बच्चों को भी अब टीकाकरण के दौरान चुभने वाली सुइयों से निजात मिल जाएगी। जन्म के बाद चौदह सप्ताह के भीतर लगने वाले दस टीकों के इंजेक्शन की जगह अब उन्हें सिर्फ चार इंजेक्शन लगाए जाएंगे। राज्य के सरकारी अस्पतालों में सितंबर से टीकाकरण का रूप बदलकर ये सुविधा दिलाई जाएगी।
अभी तक जन्म के समय बच्चे पोलियो की खुराक पिलाने के साथ ही बीसीजी व हिपेटाइटिस-बी का टीका लगाया जाता है। हिपेटाइटिस बी का टीका एक व छह माह पर भी लगाया जाता है। बच्चे के छह, दस व चौदह सप्ताह का होने पर उसे डीपीटी व इन्फ्लुएंजा के टीके लगाये जाते हैं। डीपीटी का टीका लगने से बच्चा डिप्थीरिया, काली खांसी व टिटनेस से मुक्त हो जाता है। सरकारी टीकाकरण पर आश्रित गरीब बच्चों के चौदह हफ्ते का होने तक उन्हें दस इंजेक्शन लगाए जाते हैं। पैसा खर्च कर सकने में सक्षम अभिभावक अपने बच्चों को महज चार इंजेक्शन लगवाकर उन्हें टीके की सुइयों से होने वाले दर्द से महफूज रखते हैं। इसमें पांच बीमारियों हिपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस व इन्फ्लुएंजा का एक ही टीका बच्चों को लगाया जाता है। इस तरह जन्म के समय बीसीजी इंजेक्शन के बाद बच्चे नौ की जगह बस तीन इंजेक्शन लगवाते हैं। बाजार में यह एक टीका पांच सौ रुपये का मिलता है। प्रदेश शासन अब सरकारी अस्पतालों में भी यह टीका लगवाने की तैयारी कर रहा है। इस बात स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की यूनिसेफ व नेशनल हेल्थ मिशन के साथ हुई बैठक में तय हुआ है कि सितंबर से राज्य के टीकाकरण अभियान में बदलाव कर नयी प्रणाली को लागू कर दिया जाएगा। इससे सभी बच्चे लाभान्वित हो सकेंगे।
खर्च व जटिलता कम होगी
इस टीकाकरण की विशेषता यह है कि एक 'शॉटÓ में पांच बीमारियों को बचाता है। अस्पताल में बार-बार आने से बचने के कारण अभियान पर अमल करना ज्यादा आसान हो जाता है। इसके अलावा खर्च व जटिलता भी कम होगी। बच्चों को तो जितनी कम सुइयां लगें, उतना ही अच्छा होता है। इससे उन्हें संक्रमण या अन्य इंजेक्शनजनित समस्याओं का खतरा भी कम हो जाएगा। -डॉ.वीएन त्रिपाठी, बाल रोग विशेषज्ञ, चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक
आसान होगी लक्ष्य की प्राप्ति
मौजूदा टीकाकरण कार्यक्रम में बच्चों को बार-बार अस्पताल तक पहुंचाने में तो दिक्कत होती ही है, उन्हें कई बार इंजेक्शन लगाने से बच्चे भी परेशान होते हैं। अब सितंबर से लागू होने वाली नई व्यवस्था में बच्चों को कम इंजेक्शन लगेंगे। इससे अभिभावक भी आसानी से अस्पताल पहुंचेंगे और राज्य में टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। -डॉ.विजय लक्ष्मी, महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

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