Monday 31 August 2015

चार साल बीटेक प्रथम वर्ष में भर्ती दिखा हड़पी फीस

-कानपुर के पांच व मेरठ का एक कालेज काली सूची में
-कालेजों के साथ कर्मचारियों पर भी मुकदमे के आदेश
-अमरोहा के पांच कालेजों जारी हुआ कारण बताओ नोटिस
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
दसवीं के बाद पढ़ाई न रुकने देने के लिए समाज कल्याण विभाग की शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में घोटाले के नए-नए आयाम सामने आ रहे हैं। कानपुर के सेठ श्रीनिवास अग्र्रवाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने एक ही छात्र को चार साल तक बीटेक प्रथम वर्ष में भर्ती दिखाकर फीस हड़प ली। कानपुर के ऐसे पांच व मेरठ के एक कालेज को काली सूची में डालने के आदेश हुए हैं। इन कालेजों के साथ समाज कल्याण विभाग के दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ भी मुकदमा कायम कराया जाएगा।
लंबी सुनवाई के बाद काली सूची में डाले गए कानपुर के सेठ श्रीनिवास अग्र्रवाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में श्रीचंद भारती के पुत्र रजत सिंह भारती ने वर्ष 2010-11 में बीटेक प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था। कालेज ने उस वर्ष तो रजत के नाम पर शुल्क प्रतिपूर्ति ली ही, वर्ष 2012-13, 2013-14 ओर 2014-15 में भी रजत को बीटेक प्रथम वर्ष में ही दिखाकर शुल्क प्रतिपूर्ति वसूल ली गयी। समाज कल्याण विभाग के नोडल छात्रवृत्ति अधिकारी सिद्धार्थ मिश्र के मुताबिक रजत का मामला तो बानगी भर है। इस कालेज ने वर्ष 2011-12 में बीटेक में 750 छात्रों का प्रवेश दिखाया, जबकि परीक्षा में सिर्फ 234 बैठे। इसी तरह वर्ष 2012-13 में 526 के सापेक्ष 244, 2013-14 में 477 के सापेक्ष 166 छात्र बीटेक परीक्षा में सम्मिलित हुए। इसी समूह के एक और कालेज सेठ श्रीनिवास अग्र्रवाल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट को भी काली सूची में डाला गया है। इन दोनों संस्थानों में अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं का प्रवेश तो दिखाया गया किन्तु काउंसिलिंग से एक भी नहीं आया। सभी का प्रवेश प्रबंधकीय कोटे से हुआ।
होती रही छात्रो की अदला-बदली
काली सूची में कानपुर के बंशी समूह के बंशी कालेज ऑफ मैनेजमेंट व बंशी कालेज ऑफ एजूकेशन को भी शामिल किया गया है। इन कालेजों के प्रबंधन ने दोनों संस्थानों में छात्रों की अदला बदली कर फीस का गबन किया। एक साल छात्रों का समूह पहले कालेज में पढ़ता था, तो दूसरे साल उसे दूसरे कालेज में भर्ती दिखाकर प्रतिपूर्ति में घोटाला किया जाता था। इनमें पीजीडीएम पाठ्यक्रम में वर्ष 2012-13 में शत प्रतिशत व वर्ष 2013-14 में 97 प्रतिशत विद्यार्थी अनुसूचित जाति के थे। एमबीए में वर्ष 2011-12 में 60 में 43, वर्ष 2012-13 में 91 में 51, वर्ष 2013-14 में 130 में 82 विद्यार्थी ही परीक्षा में बैठे। कालेज प्रबंधन इन स्थितियों के पीछे कोई औचित्यपूर्ण आधार नहीं बता सका। कानपुर के ही विद्या भवन कालेज ऑफ इंजीनियङ्क्षरग एंड टेक्नोलॉजी को भी काली सूची में डाला गया है। यहां वर्ष 2011-12 में प्रवेशित छात्र संख्या के सापेक्ष 75 प्रतिशत, 2012-13 में 74 प्रतिशत, 2013-14 में 91 प्रतिशत केवल अनुसूचित जाति छात्रों को प्रवेश दिलाया गया। कोई छात्र काउंसिलिंग से नहीं आया। केवल शुल्क प्रतिपूर्ति धनराशि हड़पने के लिए सभी का प्रवेश प्रबंधकीय कोटे से किया गया।
बिना मान्यता भी ले लिया धन
म रठ के एक्सीलेंस कालेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज को भी समाज कल्याण विभाग ने काली सूची में डालने के निर्देश दिये हैं। यह संस्थान किराये के भवन में चल रहा था और मौजूदा समय में तो बंद भी चल रहा था। इसे शासन स्तर से मान्यता भी नहीं प्राप्त थी, फिर भी 29 लाख 15 हजार 270 रुपये की शुल्क प्रतिपूर्ति ले ली। इस संस्थान के खिलाफ पहले ही मुकदमा कराया जा चुका है। कानपुर की काली सूची में डाली गयी संस्थाओं के खिलाफ मुकदमे के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है। इनके अलावा अमरोहा के पांच कालेजों आइएमएस पॉलीटेक्निक, इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस, महाराजा अग्र्रसेन कालेज ऑफ टेक्नोलॉजी, इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी व एएसके इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलाजी को भी गड़बडिय़ों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
संस्थानों से वसूलेंगे धन
काली सूची में शामिल संस्थानों ने शासन का करोड़ों रुपये का नुकसान किया है। अब इन सभी से उक्त धनराशि की वसूली की जाएगी। संस्थाएं छात्र-छात्राओं को लालच देकर उनका भविष्य बर्बाद कर रही हैं। वे झांसे में आकर प्रवेश न ले। -सिद्धार्थ मिश्र, नोडल छात्रवृत्ति अधिकारी, समाज कल्याण निदेशालय

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